
पिछले चार साल में दुनिया कितनी बदल गई है, इसका अंदाजा विश्वकप फुटबॉल के स्पॉन्सर्स को देखकर भी लगाया जा सकता है। टूर्नामेंट के तीन प्रमुख स्पॉन्सर में से एक चीन है, जबकि 2014 में वह कहीं भी नहीं था। स्पॉन्सरशिप में चीन का योगदान 35% के करीब है। टूर्नामेंट को स्पॉन्सर कर रही 12 बड़ी कंपनियों से चार चीन की हैं। दुनिया में 3.2 अरब से ज्यादा लोग विश्वकप फुटबॉल देख रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा चीन के ही लोग हैं।2006 से जापान की कंपनियां एशियाई ब्रांड्स का प्रतिनिधित्व विश्व कप में करती थीं, लेकिन अब इसमें एक-तिहाई भागीदारी चीन कर रहा है। चीन के उतने ही स्पॉन्सर हैं, जितने अमेरिका के हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि चीन की राष्ट्रीय टीम वर्ल्डकप में क्वालिफाई ही नहीं कर सकी है। चीन ने फुटबॉल विश्वकप बस एक ही बार 2002 में खेला है।
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